ज्योतिष विद्या में कुल 27 नक्षत्रों का जिक्र किया गया है | ज़िंदगी मे सही फल पाने के लिए हम ज्योतिषी के पास जाते हैं और ज्योतिषी हमारे नक्षत्रों पर विचार करते हैं | सभी लोगो के नक्षत्र अलग अलग होते हैं और सभी नक्षत्र हम पर अलग अलग तरह से असर करते हैं | इन नक्षत्रों के प्रभाव से ही हमें सही फल की प्राप्ति होती है | इन नक्षत्रों के प्रभाव से कुछ-कुछ बच्चे सीधे और कोमल व्यवहार के होते हैं और कुछ बच्चे सख्त और कठोर व्यवहार के | आईये, जाने क्या है गण्डमूल नक्षत्र और क्यों होता है ये दोषकारी ? ये हम पर कैसे असर करता है और क्या है इसका सही निवारण ?
क्या है गण्डमूल नक्षत्र और क्यों होते है गण्डमूल नक्षत्र दोषकारी ?
कुछ नक्षत्रों को शुभ माना गया है और कुछ नक्षत्रों को अशुभ | गण्डमूल नक्षत्र को अशुभ नक्षत्रों की श्रेणी मे रखा गया है | अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में रेवती, चंद्रमा, मघा, अश्विनी, अश्लेषा, ज्येष्ठा या मूल नक्षत्रों में से कोई भी एक नक्षत्र मौजूद है तो उस व्यक्ति को गण्डमूल नक्षत्र का माना जाता है | सभी नक्षत्रों की तुलना में गण्डमूल नक्षत्र को सबसे अशुभ माना गया है | जो भी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है वो जीवन में काफी परेशानियों से घिरा होता हैं और इस नक्षत्र दोष को गण्डमूल नक्षत्र कहा गया है |
कुछ लोगो का मानना है कि आमतौर पर यह दोष हर चौथी या पाँचवी कुंडली में पाया जाता है जबकि वास्तव में यह दोष अठारहवी कुंडली में होता है |
कैसे पड़ता है हम पर गण्डमूल नक्षत्र का प्रभाव ?
जिन लोगो पर गण्डमूल नक्षत्र का प्रभाव होता है वो लोग बहुत ही तीक्ष्ण स्वभाव के होते हैं | उनके अंदर कठोरता होती है जिसकी वजह से वो न केवल खुद के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए परेशानी बन जाते हैं | इसका असर उनके माँ, बाप, भाई और बहन पर भी होता है |
भगवान अगर ज़िंदगी में कोई परेशानियाँ देते हैं तो उसका निवारण भी ज़रूर बताते हैं | हम इन परेशानियों के निवारण के लिए ज्योतिषी के पास जाते हैं | वो हमें इन परेशानियों को दूर करने के लिए सही समाधान बताते हैं | ज्योतिष शास्त्रों के ज़रिये हम किसी भी मुश्किल का समाधान पा सकते हैं |
गण्डमूल नक्षत्र के निवारण के लिए माता-पिता को क्या करना चाहिए ?
जैसा कि हमने आपको बताया कि गण्डमूल नक्षत्र का असर पूरे परिवार पर भी होता है तो इसके निवारण के लिए ज्योतिष के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मे बच्चों को जन्म के बाद 27 दिनों तक अपने पिता का चेहरा नहीं देखना चाहिए |
लेकिन, यहाँ ये भी समझना होगा कि हमें केवल इन नक्षत्रो के आधार पर फैसला नहीं लेना चाहिए बल्कि पूरी कुंडली भी देखनी चाहिए | सबसे पहले बच्चे की स्वास्थ्य की स्थिति जान लेनी चाहिए और माता पिता की कुंडली को भी एक बार ज़रूर देख लेना चाहिए ताकि पता चल सके कि नवजात पर इसका असर कैसे हो रहा है | अगर सभी परिजनों के ग्रह सही है तो चिंता की कोई बात नहीं है | बच्चे के जन्म के 27 दिन बाद नक्षत्र मूल शांत करवा लेना चाहिए | ज़्यादातर गण्ड्मूल नक्षत्र का दोष 8 वर्ष तक ही रहता है | जब तक बच्चा 8 साल का न हो जाए तब तक रोजाना “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें | अगर बच्चे का स्वास्थ्य कमजोर रहता है तो माता पिता पूर्णिमा का उपवास भी रख सकते हैं |
गण्डमूल दोष के लिए निवारण उपाय और पूजा
आइए जाने गण्ड्मूल के दोष के निवारण के लिए गंडमूल दोष वाले बच्चों से क्या करवाना चाहिए ?
- अगर बच्चे का जन्म मघा नक्षत्र तो बच्चे को रोज़ाना सूर्य भगवान को जल अर्पण करना चाहिए |
- अगर बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र मे हुआ है तो उसे गायत्री माँ की उपासना करनी चाहिए |
- अगर बच्चे का नक्षत्र अश्लेषा है तो बच्चे को शिवजी की उपासना करनी चाहिए |
- अगर बच्चे का जन्म ज़्येष्ठा नक्षत्र मे हुआ है तो बच्चे को हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए |
- अगर बच्चे का नक्षत्र रेवती है तो उन्हे गणेश जी की उपसाना करनी चाहिए |
- अगर बच्चे का जन्म अश्विनी नक्षत्र मे हुआ है तो उसे हनुमान जी का मंत्र जाप करना चाहिए |